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दीपावली पर तैनात पुलिसकर्मियों की एक अनकही कहानी ; त्याग और सेवा की।

प्रतीकात्मक फोटो/लोकल पब्लिक न्यूज़।

दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, एक ऐसा समय जब लोग अपने घरों को दीपों की रौशनी से सजाते हैं। मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और परिवार के साथ इस पावन त्योहार का आनंद लेते हैं। लेकिन इस खुशनुमा माहौल में, एक वर्ग ऐसा है जो अपने घरों से दूर, अपने परिवारों के साथ समय बिताने के बजाए अपने कर्तव्यों का पालन करता है। वे हैं पुलिसकर्मी—जिनकी दीपावली भी ड्यूटी पर बीतती है, जो हमारे लिए सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करते हैं।

पुलिसकर्मी, जो दिन-रात कानून-व्यवस्था की देखभाल में तैनात रहते हैं, अक्सर अपने निजी जीवन और भावनाओं को पीछे छोड़ देते हैं। दीपावली जैसे त्योहारों पर भी वे अपनी ड्यूटी छोड़कर घर नहीं जा पाते। समाज की रक्षा में उनका त्याग इतना बड़ा है कि उनके परिवार भी इस त्याग का हिस्सा बनते हैं। हर वर्ष, दीपावली के दौरान उन्हें अपने बच्चों की खुशी, घर के रंग-बिरंगे दीप और पटाखों की गूंज से दूर रहना पड़ता है। उनके जीवन में त्योहार अक्सर दूरसपने सा बनकर रह जाता है।

पुलिसकर्मियों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। उनके दिलों में घर-परिवार के साथ त्योहार मनाने की चाह तो होती है, लेकिन कर्तव्य भावना उसे पूरा नहीं होने देती। कई पुलिसकर्मी दीपावली की रात भी शहर के चप्पे-चप्पे की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। इस दौरान उनकी आंखों में एक ओर अपने बच्चों के साथ दीपावली का सपना होता है तो दूसरी ओर अपने फर्ज का एहसास। वे अपनी भावनाओं को खुद में दबाकर लोगों की सेवा में खड़े रहते हैं। समाज की सुरक्षा और खुशियों के लिए अपने कर्तव्य में तल्लीन रहते हैं, चाहे उनके अपने दिल की गहराइयों में कितनी ही उदासी क्यों न छिपी हो।

ऐसे समय पर, उनके बंधु-बांधव भी उनकी अनुपस्थिति को महसूस करते हैं। पुलिसकर्मी अपने परिवारों को फोन के जरिए शुभकामनाएं देते हैं और अपने बच्चों को फोन पर ही दीपावली की खुशियाँ मनाने का वादा करते हैं। कई बार उनकी आँखें नम हो जाती हैं, पर चेहरे पर मुस्कान बनाए रखते हैं, ताकि उनके परिवार की खुशी में कोई कमी न हो।

दीपावली की खुशियों से दूर रहकर, वे समाज के प्रति अपनी निष्ठा को बरकरार रखते हैं। उनके इस त्याग के प्रति समाज में समझ और सम्मान की भावना बढ़नी चाहिए। हमें उन पुलिसकर्मियों के त्याग को महसूस करना चाहिए, जो हमारी सुरक्षा की खातिर अपने परिवार और त्योहारों से दूर रहकर, समाज की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। दीपावली का यह त्योहार उनके नाम कर, उनके त्याग के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना हमारी जिम्मेदारी है।

उनका त्याग, उनकी ड्यूटी, और समाज के प्रति उनकी सेवा का यह जज्बा निसंदेह प्रेरणादायक है। हमें उनके त्याग को समझते हुए अपने दिलों में उनके प्रति आभार की भावना बनाए रखनी चाहिए, ताकि ये रक्षक भी महसूस करें कि उनके त्याग का समाज में एक अलग ही महत्व और स्थान है।

Local Public News
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Journalist -Arjun Rai East Champaran Bihar India.
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